Thursday, October 25, 2007

मैं अधूरी सी एक नज्म

मैं अधूरी सी एक नज्म
और तुम नज्म के बाक़ी के मिसरे हो
मुझ से आ के मिलो तो कभी
नज्म के मानी बने कुछ
तुम ही कहो
कहो तुम
और कब तक बे-मानी रहे.................

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