हदों के पार तक फैला यहाँ बाज़ार हैं
वाह ! इस दौर-ऐ-दिल्ली में अर्थियां भी रेडी मेड मिलती हैं
कफ़न के पीस कटे हुए, फ्री साइज़ सबके लिए
चन्दन, लकड़ी, घी अगरबत्ती, आम की फट्टी
फूल, माला, घाट तक पहुँचाने वाला
कभी भी मरो वक्क्त, बेवक्क्त
यहाँ हर समय तैयार मिलते हैं
भाई सुविधा है मरने की!
बस एक कॉल और फ्री होम डिलवरी.
...................विज्ञापन के इस दौर में
बिकने और बेचे जाने की इस होड़ में
वो दिन भी बस आता होगा
जब हमें बनाने होंगे
अर्थियों के ऑफर एड
एक के साथ एक फ्री
कॉम्बो पैक
फैमली पैक
सोचता हूँ क्या यहीं के लिए निकला था ?
जब घर का ऑगन छूटा था
ऐसा नहीं के मेरे गाँव में लोग नहीं मरते
पर वहां अर्थियों के बाज़ार नहीं लगते.
हदों के पार तक फैला यहाँ बाज़ार हैं....