बहुत पहले मर चुका था मैं
पर ख़बर इस बात की मुझे ज़रा देर से मिली
मरे हुए आदर्शों और सड़ी-गली ईमानदारी की बू ने
जब मेरी रूह का जीना हराम कर डाला
पता लगा ये सडन जो मेरी साँसों में बस गई है
घर के कबाड़खाने में मरे चूहे की नहीं
ड्राइंगरूम में मरे इंसान की है.
1 comment:
i love you
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