तुझ से मिला जब भी
अपना कुछ तेरे पास भूल आया मैं
और भूले से तेरा कुछ उठा लाया मैं।
ये चुराई हुई दौलत तेरे एहसास की
दिल के सन्दूक में छुपा रक्खी है
किसी को दिखाऊं तो कैसे दिखाऊं
बताऊँ किसी को तो वो लब कहाँ से लाऊं
तू ही बता इस ख़जाने को ले कर मैं अब कहाँ जाऊ
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................तेरे पास ही ना चला आऊं .
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