Monday, December 10, 2007

मैं और तू

तुझ से मिला जब भी

अपना कुछ तेरे पास भूल आया मैं

और भूले से तेरा कुछ उठा लाया मैं।


ये चुराई हुई दौलत तेरे एहसास की


दिल के सन्दूक में छुपा रक्खी है

किसी को दिखाऊं तो कैसे दिखाऊं

बताऊँ किसी को तो वो लब कहाँ से लाऊं

तू ही बता इस ख़जाने को ले कर मैं अब कहाँ जाऊ
.................................................................
................तेरे पास ही ना चला आऊं .

No comments:

हिन्दी में लिखिए