Tuesday, April 1, 2008

मैं और तू

मैं तो हूँ जैसे कांसे की हांडी मैं रखा सदा पानी
और तू रे छोरी पुडिया है रंग की
कभी ऐसी तो कर रे नादानी
के घुल जा इस सादे पानी मैं ऐसे
के सब को खू लगे ये पानी
देख ऐसा ना हुआ तो
तू ना रंग पाईमुझे तो
कोई और रंग लेगा मुझे अपने ही रंग में
रोएगी उस वक्क्त बैठी
कहेगी मैं फरेबी था
था मैं बैरी था
मैं तो हूँ जैसे कांसे की हांडी मैं रखा सदा पानी

2 comments:

Sanjay Joshi said...

lage raho good najm aur thori filling lao to maja aa jaye

जागर न्यूज़ said...

अद्भुत है ये ।

हिन्दी में लिखिए