देख ज़रा आईने पे जा कर
मेरे चेहरे से लग कर
एक पहचान बन गई है तेरे रुखसार पर
देखा था मैंने जब आईना
तेरे चेहरे का उजाला देखा था
अपने चेहरे पर ।
देख कहीं ना जाना ये चेहरा लेकर
लोग हँसेंगे तुझ पर।
लोग हँसेंगे मुझ पर ।
मेरे चेहरे पर तेरी सी एक पहचान बनी है
तेरे चेहरे पर मेरा सा एक चेहरा जड़ा है ।
5 comments:
मित्र अच्छा लिख रहे हो
हम अच्छा पढ़ रहे हैं
आप लिखते रहो
हम पढ़ते रहें
ब्लॉगवाणी, चिट्ठाजगत इत्यादि
हैं एग्रीगरेटर्स, जो पहुंचाते हैं
पहचान दिलाते हैं, इनसे
जुड़ना अवश्य, जहां तलाशा
है तुम्हें, वहां पहुंचना सबके
बस का, बेबस का नहीं है।
मेरे चेहरे पर तेरी सी एक पहचान बनी है
तेरे चेहरे पर मेरा सा एक चेहरा जड़ा है ।
वाह क्या बात है
मित्र क्या कहूं...
सचमुच तुमने महसूस किया है
तब जाकर शब्दों में ढल पायी हैं वे भावनायें
जो हमें भीतर जाकर उद्येलित करती है
bhut sunder
aveenash ji kafi der ke baad aap se mili pratikirya ke prati dhanyavad
prakat kar raha hun.umeed hai aap mujhe shama karte hue ...aadhe bhi prerna de te rahenge
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