Wednesday, November 10, 2010

मंगलवार  को अंडे नहीं खाते हम
हाँ मगर बुद्ध को आदमी का खून पीते  हैं.

गालियाँ देना? हुनर ये तहज़ीब ने हमें गवारा ना किया.
हम तो वो हैं जो निगाहों से कपढ़े उतार देते हैं.

सब माँ-बहने हैं मेरी, मेरी बीबी को छोड़ के,
फिर भी आदत कि जेब में हर वक़्त कॉन्डोम रखते हैं


मंगलवार को अंडे नहीं खाते हम

हाँ मगर बुद्ध को आदमी का खून पीते हैं.

2 comments:

Deepak Tiruwa said...

kya baat hai janab .... wah

अरुण चन्द्र रॉय said...

bahut badhiya.. baki kavitaayen bhi achhi hain...

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