Monday, November 19, 2007

आवारा हो गया हूँ

कई सूत्र तोड़ कर जोड़ा था तुमसे एक सूत्र
तुम्हें वो सूत्र आज तोड़ दिया है

छिना मुझ को सबकी बाहों से
फिर अपना दामन भी छुड़ा लिया है
तनहा खड़ा अब सोच रह हूँ
मैं
जिसकी कल तक छोटी सी एक दुनिया थी
मेरे घर से बस तेरी गली तक जाती थी

आज गली-गली को छू कर
हर चौराहे हर नुक्कड़ से हो कर
सड़क कि आवारा सड़को तक फ़ैल गयी है मेरी दुनिया
तुमसे जुदा होकर .................

जुदा होकर तुमसे

आवारा हो गया हूँ

No comments:

हिन्दी में लिखिए