Wednesday, May 20, 2009

मैं और क्राइस्ट.

रात सो रही थी जब दुनिया सारी
मैं था जो बस जाग रहा था ।
अपने गम के साथ ऊँघ रहा था।
रात ये साली घंटा-घंटा होती काली।
कालिख इसकी छुड़ा रहा था।
रात सो रही थी जब दुनिया सारी
मैं था जो बस जाग रहा था।
तभी चर्च की घटी बजी
और क्राइस्ट ने बारह बजा कर कहा जाग रहे हो!
जाग रहे हो तुम भी!
जाग रहे हो! क्या थोड़ा-थोड़ा गम आपस में बाट रहे हो!
मैं भी तो हूँ साथ तुम्हारे जो जाग रहा हूँ।
मैं भी तो हूँ साथ तुम्हारे जो सदियों से ऊँघ रहा हूँ।
रात सो रही थी जब दुनिया सारी
मैं और क्राइस्ट जाग थे
गम आपस में बाट रहे थे ।
मैंने अपने सारे गम तब क्राइस्ट से बदल लिए थे ।



रात सो रही थी जब दुनिया सारी मैं और क्राइस्ट जाग रहे थे।

1 comment:

Deepak Tiruwa said...

यार ये रात ,ग़म ,तन्हाई, कालिख ...वाले माहौल में क्राइस्ट जैसे नॉन रोमांटिक आदमी को क्यों तंग कर रहे हो....

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